आज से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष लाभदायी माना जाता है।
आज से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र के दौरान मां भगवती की आराधना में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फलदाई माना जाता है। कई भक्त कलश स्थापना के साथ इसका प्रतिदिन सुबह – शाम पाठ करते हैं और ऐसे भक्त भी होते हैं, जो नियम पूर्वक केवल दुर्गा सप्तशती का ही पाठ करते हैं। इस पवित्र पुस्तक का पाठ करना वाकई लाभप्रद माना जाता है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ समस्त मनोकामनााओं का पूरक,अनिष्ट नाशक है।
यह देवी महात्म्य धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, पुरुषार्थ चतुष्टय देने में समर्थ है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति दैनिक अथवा नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का श्रद्धा, विश्वास, नियम संयम तथा ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए विधिवत पाठ करता है, उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है। साथ ही वह नवरात्र के अलावा दैनिक जीवन में भी इसी नियम का अनुसरण करता है, तो उसकी कीर्ति फैलती है और लक्ष्मी सदा उसके साथ विराजमान रहती हैं। यदि दुर्गा सप्तशती के पाठ में कुछ सिद्ध मंत्रों का संपुट लगाकर पाठ किया जाए, तो जल्दी ही अभीष्ट की प्राप्ति होती है। दुर्गा सप्तशती के सभी अध्यायों का पाठ करने से पहले अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत कवच, अर्गला, कीलक, आदि का भी पाठ करना चाहिए। मां को समर्पित यह पाठ ओज, साहस, पौरुष, वीरता एवं समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। यदि आपके पास समय कम है, तो दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ करने से दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल मिलता है।
अर्गला एवं अष्टोत्तर शत नाम का महात्म्य
देवी पार्वती कहती है कि जो प्राणी मेरे अष्टोत्तर शत नाम का नियमित पाठ करता है, उसके लिए संसार में कुछ भी असंभव या असाध्य नहीं है। जो नवरात्र में या प्रतिदिन मेरे नौ स्वरूपों का ध्यान कर कवच का पाठ करता है। उसे मान – सम्मान, यश, लक्ष्मी की वृद्धि होने के साथ-साथ देवी कृपा भी मिलती है।
विघ्न नाश के लिए सिद्ध मंत्र :
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य समन्वितः। मनुष्योमत्प्रसादेंन भविष्यति न संशयः।।